यह बात अखबार में इसलिए नहीं छपी क्योंकि मीडिया के लिए पूंजीगत संसाधन अब बड़े परिमाण में चाहिए जिसे जुटाना कारपोरेट जगत के बूते की ही बात है।
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किसान-मजदूर पसीना बहाता है किन्तु पूंजीगत संसाधन, यंत्र, तकनीक आदि न हो तो क्या कर सकेगा? आर्थिक गतिविधि के विविध अंग एक-दूसरे के पूरक हैं.
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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समूह की बैठक के बाद सरकार ने कहा, “ पावर ग्रिड कार्पोरेशन के विस्तार के लिए जरूरी अतिरिक्त पूंजीगत संसाधन जुटाने के लिए सार्वजनिक निर्गम जारी किया जाएगा।